खरीफ सीजन में 75% बोवनी पूरी, लेकिन सरकारी योजना अभी तक अधूरी
परिचय: खरीफ बोवनी और सरकारी योजना की स्थिति
मध्य प्रदेश में मानसून (Monsoon) समय पर पहुंचने के साथ ही किसानों ने खरीफ बोवनी (Kharif sowing) शुरू कर दी है। खरीफ सीजन में 75% बोवनी पूरी प्रदेश के कई जिलों में 75% तक बोवनी का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन सरकार की ओर से खरीफ योजना (Kharif plan) अभी तक तैयार नहीं हो पाई है। खाद और बीज (fertilizers and seeds) की कमी के कारण किसान परेशान हैं। यह स्थिति न केवल किसानों की मेहनत पर असर डाल रही है, बल्कि कृषि उत्पादन (agricultural production) पर भी सवाल उठा रही है। इस लेख में हम खरीफ बोवनी की वर्तमान स्थिति, सरकारी योजना की देरी, और किसानों की समस्याओं का विस्तार से विश्लेषण करेंगे।
खरीफ बोवनी का महत्व
खरीफ फसलें (Kharif crops) भारत की कृषि अर्थव्यवस्था (agricultural economy) की रीढ़ हैं। मध्य प्रदेश में मक्का, सोयाबीन, धान और उड़द जैसी फसलें मानसून के साथ बोई जाती हैं। समय पर बोवनी और संसाधनों की उपलब्धता (resource availability) इन फसलों की पैदावार को निर्धारित करती है। हालांकि, सरकारी योजना की देरी के कारण किसानों को खुले बाजार (open market) से महंगे दामों पर खाद और बीज खरीदने पड़ रहे हैं।
मध्य प्रदेश में मानसून की स्थिति
मध्य प्रदेश में मानसून 2025 में तय समय से एक दिन की देरी से पहुंचा। शुरुआती बारिश (initial rainfall) ने बैतूल, छिंदवाड़ा, और उज्जैन जैसे जिलों में बोवनी के लिए अनुकूल स्थिति बनाई। इसके बावजूद, कृषि विभाग (agriculture department) और प्रशासन खरीफ योजना को अंतिम रूप देने में विफल रहे हैं।
खरीफ योजना: आवश्यकता और विलंब
खरीफ योजना क्या है?
खरीफ योजना एक व्यापक रणनीति (comprehensive strategy) है, जो खरीफ बोवनी के लिए आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था और वितरण को सुनिश्चित करती है। यह योजना कृषि उत्पादन आयुक्त (Agricultural Production Commissioner) की देखरेख में तैयार की जाती है। इसमें निम्नलिखित बिंदु शामिल होते हैं:
बिंदु |
विवरण |
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संसाधन व्यवस्था |
खाद, बीज, और अन्य सामग्री की उपलब्धता। |
वितरण योजना |
सहकारी समितियों और मार्कफेड केंद्रों के माध्यम से वितरण। |
क्षेत्रवार रणनीति |
प्रत्येक जिले के लिए फसल रकबे और संसाधन आवश्यकताओं का आकलन। |
समस्याओं का समाधान |
खाद-बीज की कालाबाजारी और अन्य मुद्दों का निवारण। |
योजना में देरी के कारण
मध्य प्रदेश में खरीफ योजना तैयार करने में देरी के कई कारण हैं:
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बैठकों का विलंब: कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में होने वाली संभागीय बैठकें समय पर आयोजित नहीं हो रही हैं।
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अधिकारियों की लापरवाही: प्रभारी आयुक्त अशोक बर्णवाल की ओर से समयबद्ध कार्यवाही नहीं हुई।
-
संसाधन प्रबंधन में कमी: खाद और बीज की मांग और आपूर्ति के बीच तालमेल का अभाव।
वर्तमान स्थिति
19 जून 2025 तक, केवल पांच संभागों (इंदौर, उज्जैन, सागर, रीवा, और शहडोल) में ही खरीफ योजना की बैठकें हो पाई हैं। शेष संभागों में बैठकें 25-27 जून के बीच प्रस्तावित हैं। इस देरी के कारण किसानों को सहकारी समितियों (cooperative societies) से पर्याप्त खाद और बीज नहीं मिल पा रहे हैं।
खाद और बीज की उपलब्धता
खाद की स्थिति
मध्य प्रदेश में खाद की उपलब्धता और वितरण की स्थिति निम्नलिखित है (19 जून 2025 तक, मीट्रिक टन में):
खाद का प्रकार |
उपलब्धता |
वितरण (2025) |
वितरण (2024) |
कुल मांग |
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डीएपी (DAP) |
3.90 लाख |
3.80 लाख |
3.70 लाख |
12 लाख |
पनपीके (NPK) |
4.75 लाख |
2.00 लाख |
2.07 लाख |
6.50 लाख |
एसएसपी (SSP) |
4.50 लाख |
– | – | – |
यूरिया (Urea) |
– |
6.02 लाख |
6.00 लाख |
17 लाख |
विश्लेषण
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मांग और आपूर्ति में अंतर: डीएपी और यूरिया की मांग क्रमशः 12 लाख और 17 लाख टन है, जबकि उपलब्धता और वितरण इससे काफी कम है।
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वितरण में सुस्ती: सहकारी समितियों और मार्कफेड केंद्रों पर खाद की कमी की शिकायतें आम हैं।
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महंगे दाम: खुले बाजार में 4 किलो मक्का बीज (maize seeds) की कीमत 1100 रुपये तक पहुंच गई है।
बीज की उपलब्धता
कृषि विभाग का दावा है कि सहकारी समितियों और मार्कफेड केंद्रों (Markfed centers) पर पर्याप्त बीज उपलब्ध हैं। हालांकि, किसानों का कहना है कि यह दावा पूरी तरह सत्य नहीं है। कई जिलों में बीज की कमी के कारण किसानों को खुले बाजार से महंगे दामों पर खरीदारी करनी पड़ रही है।
किसानों की समस्याएं
क्षेत्रवार बोवनी की स्थिति
मध्य प्रदेश के कई जिलों में बोवनी का कार्य तेजी से चल रहा है, लेकिन सरकारी सहायता की कमी के कारण किसान परेशान हैं। कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
केस-1: बैतूल जिला
बैतूल जिले के ग्राम लक्कड़जाम के किसान अमरसिंह धुर्वे के अनुसार, उनके गांव में 75% बोवनी का कार्य पूरा हो चुका है। हालांकि, खाद और बीज की कमी के कारण उन्हें बाजार से महंगे दामों पर सामग्री खरीदनी पड़ी।
केस-2: उज्जैन जिला
उज्जैन संभाग के बड़नगर क्षेत्र में 15-16 जून को अच्छी बारिश के बाद किसानों ने 10-25% बोवनी पूरी कर ली। लेकिन, सहकारी समितियों से पर्याप्त संसाधन न मिलने के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा।
अन्य समस्याएं
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कालाबाजारी: कुछ क्षेत्रों में खाद और बीज की कालाबाजारी (black marketing) की शिकायतें मिल रही हैं।
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जागरूकता की कमी: किसानों को समय पर सरकारी योजनाओं और संसाधनों की जानकारी नहीं मिल पा रही है।
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महंगे संसाधन: खुले बाजार में खाद और बीज की कीमतें किसानों की पहुंच से बाहर हैं।
सरकारी प्रयास और कमियां
कृषि उत्पादन आयुक्त की भूमिका
कृषि उत्पादन आयुक्त (APC) की अध्यक्षता में होने वाली बैठकें खरीफ योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण हैं। इन बैठकों में निम्नलिखित बिंदुओं पर चर्चा होती है:
चर्चा का बिंदु |
विवरण |
---|---|
फसल रकबा |
प्रत्येक जिले में फसल रकबे का अनुमान। |
संसाधन आवश्यकता |
खाद, बीज, और अन्य सामग्री की मांग। |
वितरण रणनीति |
समय पर संसाधनों का वितरण सुनिश्चित करना। |
कालाबाजारी रोकथाम |
अनुचित व्यापार प्रथाओं पर नियंत्रण। |
विलंब के प्रभाव
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बैठकों की देरी: चंबल, ग्वालियर, भोपाल, नर्मदापुरम, और जबलपुर संभागों में बैठकें अभी तक पूरी नहीं हुई हैं।
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किसानों का नुकसान: समय पर संसाधन न मिलने से किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
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उत्पादन पर असर: योजना की देरी से खरीफ फसलों की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
पिछले वर्ष की स्थिति
पिछले वर्ष (2024) भी खरीफ योजना में देरी हुई थी, जिसे पत्रिका ने उजागर किया था। इसके बाद अधिकारियों ने जल्दबाजी में बैठकें आयोजित कीं, लेकिन तब तक कई जिलों में बोवनी पूरी हो चुकी थी। इस बार भी प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है।
समाधान और सुझाव
समयबद्ध योजना
सरकार को खरीफ योजना को समय पर तैयार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:
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बैठकों का आयोजन: सभी संभागों में जून के पहले सप्ताह में बैठकें पूरी होनी चाहिए।
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संसाधन वितरण: सहकारी समितियों और मार्कफेड केंद्रों पर पर्याप्त खाद और बीज सुनिश्चित करना।
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जागरूकता अभियान: किसानों को सरकारी योजनाओं और संसाधनों की जानकारी देना।
कालाबाजारी पर नियंत्रण
खाद और बीज की कालाबाजारी को रोकने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
उपाय |
विवरण |
---|---|
निगरानी |
बाजार में खाद और बीज की कीमतों पर नजर रखना। |
शिकायत तंत्र |
कालाबाजारी की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन शुरू करना। |
दंडात्मक कार्रवाई |
अनुचित व्यापार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई। |
तकनीकी सहायता
कृषि विभाग को डिजिटल प्लेटफॉर्म (digital platforms) के माध्यम से किसानों को संसाधन उपलब्ध कराने और उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में काम करना चाहिए।
निष्कर्ष
मध्य प्रदेश में खरीफ बोवनी का 75% कार्य पूरा होने के बावजूद, सरकारी योजना की देरी किसानों के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। खाद और बीज की कमी, कालाबाजारी, और बैठकों में विलंब ने किसानों की परेशानियों को बढ़ा दिया है। सरकार को समय पर योजना बनाकर और संसाधनों का उचित वितरण सुनिश्चित करके इस स्थिति को सुधारने की जरूरत है। यह न केवल किसानों के हित में होगा, बल्कि प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था (agricultural economy) को भी मजबूत करेगा।
पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. मध्य प्रदेश में खरीफ बोवनी की वर्तमान स्थिति क्या है?
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75% बोवनी का कार्य पूरा हो चुका है, लेकिन सरकारी योजना अभी तक तैयार नहीं है।
2. खरीफ योजना क्या है?
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खरीफ योजना एक रणनीति है, जो खाद, बीज, और अन्य संसाधनों की व्यवस्था को सुनिश्चित करती है।
3. खरीफ योजना में देरी के क्या कारण हैं?
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बैठकों में विलंब और अधिकारियों की लापरवाही मुख्य कारण हैं।
4. मध्य प्रदेश में खाद की उपलब्धता कैसी है?
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डीएपी और यूरिया की मांग के मुकाबले उपलब्धता कम है, जिससे किसान परेशान हैं।
5. किसानों को खाद और बीज कहां से मिल रहे हैं?
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सहकारी समितियों और खुले बाजार से, लेकिन बाजार में कीमतें बहुत अधिक हैं।
6. कालाबाजारी को कैसे रोका जा सकता है?
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निगरानी, शिकायत तंत्र, और दंडात्मक कार्रवाई से कालाबाजारी पर नियंत्रण हो सकता है।
7. कृषि उत्पादन आयुक्त की बैठकें क्यों जरूरी हैं?
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ये बैठकें संसाधन आवश्यकताओं और वितरण रणनीति को निर्धारित करती हैं।
8. पिछले वर्ष खरीफ योजना में क्या कमियां थीं?
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2024 में भी योजना में देरी हुई थी, जिसके कारण किसानों को नुकसान हुआ।
9. किसान अपनी समस्याओं की शिकायत कहां कर सकते हैं?
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कृषि विभाग या स्थानीय प्रशासन से संपर्क करें।
10. खरीफ बोवनी के लिए सरकार को क्या करना चाहिए?
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समय पर योजना बनाना, संसाधन वितरण सुनिश्चित करना, और कालाबाजारी पर रोक लगाना।